Digital Labour Chowk
Digital Labour Chowk: भारत सरकार ने असंगठित क्षेत्र के करोड़ों श्रमिकों को सशक्त बनाने के लिए एक क्रांतिकारी कदम उठाया है। 11 नवंबर 2025 को नई दिल्ली के भारत मंडपम में केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया द्वारा लॉन्च की गई ‘डिजिटल लेबर चौक’ योजना, श्रमिकों को डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए रोजगार के नए द्वार खोल रही है। यह योजना खासतौर पर निर्माण, औद्योगिक और सेवा क्षेत्रों से जुड़े दिहाड़ी मजदूरों को लक्षित करती है, जहां पारंपरिक लेबर चौकों पर इंतजार करना, बिचौलियों की मार झेलना और असुरक्षित काम जैसी समस्याएं आम हैं। अब एक साधारण मोबाइल ऐप के माध्यम से श्रमिक घर बैठे अपनी स्किल के हिसाब से काम खोज सकेंगे, और नियोक्ता भी पारदर्शी तरीके से योग्य श्रमिकों से जुड़ सकेंगे। https://digitallabourchowk.com/
इस योजना का मूल उद्देश्य श्रमिकों और नियोक्ताओं के बीच सीधा, सुरक्षित और तेज डिजिटल पुल बनाना है। लंबे समय से चली आ रही समस्या—जैसे सड़क किनारे लेबर चौक पर सुबह-सुबह इंतजार करना, जो दुर्घटनाओं का कारण बनता है—को खत्म करने के लिए यह ऐप डिजाइन किया गया है। इसके अलावा, बिचौलियों की भूमिका समाप्त कर ठगी और शोषण से बचाव सुनिश्चित किया जाएगा। योजना विकसित भारत 2047 के लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई है, जिसमें श्रमिकों की डिजिटल साक्षरता बढ़ाना, महिला श्रमिकों के लिए विशेष सुविधाएं प्रदान करना और सामाजिक सुरक्षा को मजबूत करना शामिल है। ई-श्रम पोर्टल, पीएम विश्वकर्मा योजना और बीओसीडब्ल्यू (बिल्डिंग एंड अदर कंस्ट्रक्शन वर्कर्स) उपकर संग्रह से इसका एकीकरण रोजगार सृजन को और गति देगा।
डिजिटल लेबर चौक की सबसे बड़ी खासियत इसका बहुभाषी मोबाइल ऐप है, जो हिंदी, अंग्रेजी और क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध है। ऐप पर रजिस्ट्रेशन के बाद श्रमिक अपनी प्रोफाइल बना सकते हैं, जिसमें नाम, पता, उम्र, मोबाइल नंबर, ईमेल और कौशल (जैसे राजमिस्त्री, पेंटर, प्लंबर, वेल्डर या हेल्पर) की जानकारी दर्ज की जाती है। लोकेशन-बेस्ड सर्च से नजदीकी जॉब्स दिखाई देती हैं, और नियोक्ता प्रोजेक्ट डिटेल्स डालकर जरूरी श्रमिकों को सीधे मैसेज कर सकते हैं। इसके साथ ही, देशभर में 3 लाख से अधिक पारंपरिक लेबर चौकों को ‘सुविधा केंद्र’ (एलसीएफसी) में बदला जाएगा, जहां आश्रय, पेयजल, स्वच्छता, स्वास्थ्य जांच, इंटरनेट और स्किल ट्रेनिंग जैसी बुनियादी सुविधाएं मिलेंगी। बीओसीडब्ल्यू पोर्टल के जरिए ऑनलाइन उपकर संग्रह से कल्याण कोष तक धन का प्रवाह तेज होगा, जो श्रमिकों को बीमा और पेंशन जैसी योजनाओं का लाभ देगा।
इस योजना से श्रमिकों को मिलने वाले लाभ असंख्य हैं। सबसे पहले, स्थानीय स्तर पर काम मिलने से पलायन कम होगा और परिवार के साथ रहना आसान बनेगा। पारदर्शी प्रक्रिया से मजदूरी का निष्पक्ष निर्धारण होगा, और ऐप पर अनुबंध साइन करने से कानूनी सुरक्षा मिलेगी। महिला श्रमिकों के लिए अलग से सुरक्षित कार्यस्थल, विश्राम कक्ष और ट्रेनिंग प्रोग्राम होंगे, जो समान अवसर सुनिश्चित करेंगे। नियोक्ताओं को भी फायदा—तेजी से योग्य श्रमिक मिलेंगे बिना किसी कमीशन के। कुल मिलाकर, पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत 3.5 करोड़ नए रोजगार सृजन में यह योगदान देगी। यह निशुल्क ऐप होने से हर श्रमिक के लिए सुलभ है, और डेटा प्राइवेसी पर सरकारी स्तर पर निगरानी रखी जाएगी।
पंजीकरण प्रक्रिया बेहद सरल है, जो किसी भी स्मार्टफोन यूजर के लिए आसान है। गूगल प्ले स्टोर पर ‘डिजिटल लेबर चौक‘ या ‘रोजगार – डिजिटल लेबर चौक’ सर्च करें, ऐप डाउनलोड करें। ओपन करने पर ‘मैं एक श्रमिक हूं’ या ‘मैं नियोक्ता हूं’ चुनें। मोबाइल नंबर से ओटीपी वेरिफाई करें, फिर बेसिक डिटेल्स भरें। श्रमिकों को कौशल और अनुभव जोड़ना होगा, जबकि नियोक्ताओं को प्रोजेक्ट की जानकारी। प्रोफाइल सेव करने के बाद नोटिफिकेशन के जरिए जॉब अलर्ट मिलेंगे। कोई दस्तावेज अपलोड करने की जरूरत नहीं, बस आधार या मोबाइल से वेरिफिकेशन। फिलहाल यह निर्माण क्षेत्र पर फोकस्ड है, लेकिन जल्द ही कृषि, सफाई और मैन्युफैक्चरिंग जैसे सेक्टर जोड़े जाएंगे।
Digital Labour Chowk: डिजिटल लेबर चौक न सिर्फ एक ऐप है, बल्कि श्रमिकों की गरिमा और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है। यह योजना असंगठित क्षेत्र की 90 प्रतिशत श्रम शक्ति को सशक्त बनाकर भारत की आर्थिक वृद्धि को नई गति देगी। अगर आप श्रमिक हैं या नियोक्ता, तो आज ही ऐप डाउनलोड करें और इस डिजिटल यात्रा का हिस्सा बनें। सरकार का यह प्रयास साबित करेगा कि तकनीक से हर हाथ को काम मिल सकता है, और हर श्रमिक सुरक्षित भविष्य का हकदार है।