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22 सितंबर 2025 से GST का नया नियम लागू
परिचय
भारत में Goods & Servises टैक्स (GST) प्रणाली ने 2017 में अपनी शुरुआत से ही देश की अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा दी है। यह एक राष्ट्र-एक कर की अवधारणा पर आधारित है, जो विभिन्न अप्रत्यक्ष करों जैसे वैट, एक्साइज ड्यूटी और सर्विस टैक्स को समाहित कर लेती है। वर्तमान में जीएसटी की चार मुख्य स्लैब रेट्स हैं: 0%, 5%, 12%, 18% और 28%। हालांकि, इन स्लैब्स की जटिलता ने समय-समय पर विवादों को जन्म दिया है, खासकर व्यापारियों और उपभोक्ताओं के लिए अनुपालन की दृष्टि से। अब, 2025 में एक बड़ा बदलाव आने वाला है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2025 को लाल किले से अपने स्वतंत्रता दिवस भाषण में ‘नेक्स्ट जेनरेशन जीएसटी रिफॉर्म्स’ की घोषणा की, जो दिवाली से पहले लागू होंगी। GST काउंसिल की 56वीं बैठक, जो 3-4 सितंबर 2025 को नई दिल्ली में हुई, ने इन सुधारों को मंजूरी दे दी है। इसके अनुसार, 22 सितंबर 2025 से नया स्लैब सिस्टम लागू हो जाएगा। यह बदलाव 12% और 28% स्लैब को समाप्त कर देगा, और मुख्य रूप से दो स्लैब 5% और 18% पर आधारित होगा, जबकि सिन गुड्स (जैसे तंबाकू) के लिए 40% का नया स्लैब जोड़ा जाएगा। यह लेख इस बदलाव के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा करता है, जो लगभग 800 शब्दों में तैयार किया गया है।
वर्तमान GST स्लैब का अवलोकन:
वर्तमान GST व्यवस्था में स्लैब रेट्स आवश्यकता के आधार पर तय किए जाते हैं। 0% स्लैब आवश्यक वस्तुओं जैसे अनाज, दूध, फल-सब्जियां, स्वास्थ्य सेवाएं और शिक्षा पर लागू होता है। 5% स्लैब आधिक्य आवश्यक वस्तुओं जैसे पैकेज्ड फूड, एडिबल ऑयल, फुटवियर और कुछ सेवाओं (जैसे रेल यात्रा) पर है। 12% स्लैब प्रोसेस्ड फूड, किताबें, मोबाइल फोन और कुछ निर्माण सामग्री पर लागू होता है। 18% स्लैब सबसे व्यापक है, जिसमें घरेलू सामान, इलेक्ट्रॉनिक्स, रेस्तरां सेवाएं और आईटी सेवाएं शामिल हैं। 28% स्लैब लग्जरी और सिन गुड्स जैसे कारें, एयर कंडीशनर, तंबाकू और एरेटेड ड्रिंक्स पर है, जिसमें अतिरिक्त सेस भी लगता है।
ये स्लैब राजस्व संग्रह में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 18% स्लैब से लगभग 67% राजस्व आता है, जबकि 28% से 11% और 12% से 5%। हालांकि, इनकी बहुलता से वर्गीकरण विवाद बढ़े हैं, जो व्यापारियों के लिए अनुपालन को जटिल बनाते हैं। GST काउंसिल ने इन समस्याओं को दूर करने के लिए रेट रेशनलाइजेशन पर काम किया, जो अब फल दे रहा है।
GST काउंसिल की 56वीं बैठक और नया स्लैब:
- 56वीं GST काउंसिल बैठक में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में यह निर्णय लिया गया कि 22 सितंबर 2025 से नया सिस्टम लागू होगा। मुख्य बदलाव इस प्रकार हैं:
- 12% स्लैब का समापन: इस स्लैब के 99% आइटम्स को 5% स्लैब में स्थानांतरित किया जाएगा। इसमें पैकेज्ड स्नैक्स, नमकीन, केचअप, जूस, पास्ता, नूडल्स, बटर, घी, चीज और दूध-आधारित पेय शामिल हैं। कुछ आइटम्स जैसे टेक्सटाइल्स, सीमेंट, सैलून सेवाएं, लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस को भी 5% में शिफ्ट किया जाएगा। इससे रोजमर्रा की वस्तुएं सस्ती होंगी।
- 28% स्लैब का समापन: 90% आइटम्स को 18% स्लैब में डाला जाएगा। इसमें एसी, व्हाइट गुड्स (जैसे वॉशिंग मशीन, फ्रिज), टूथपेस्ट, साबुन, शैंपू, मोबाइल फोन, कंप्यूटर, टीवी, प्रेशर कुकर, सिलाई मशीन, गीजर, आयरन, वैक्यूम क्लीनर, रेडीमेड गारमेंट्स (₹1000 से ऊपर), फुटवियर (₹500-₹1000), बाइसिकल, कुकवेयर, एक्सरसाइज बुक, सोलर वॉटर हीटर, कृषि मशीनरी आदि शामिल हैं। ऑटोमोबाइल्स जैसे छोटी कारें (350cc तक), बसें, ट्रक, एंबुलेंस और ऑटो पार्ट्स भी 18% पर आएंगे।
- नया 40% स्लैब: सिन और सुपर लग्जरी गुड्स के लिए, जैसे पान मसाला, तंबाकू, सिगरेट, बीड़ी, एरेटेड वॉटर, कार्बोनेटेड/कैफीनेटेड बेवरेजेस, मोटरसाइकिल (350cc से ऊपर), यॉट्स और हेलीकॉप्टर्स। तंबाकू और सिगरेट पर अभी भी 28% + सेस रहेगा, जब तक लोन चुकता न हो। अब पान मसाला और तंबाकू पर जीएसटी रिटेल सेल प्राइस (आरएसपी) पर लगेगा, न कि होलसेल वैल्यू पर।
- अन्य बदलाव: इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर सुधारित, जैसे मैनमेड फाइबर 18% से 5% और मैनमेड यार्न 12% से 5%। सभी टीवी अब 18% पर, कैंसर ड्रग्स 0% पर। लाइफ-सेविंग ड्रग्स को निल रेटेड किया गया।
ये बदलाव जीएसटी 2.0 का हिस्सा हैं, जो स्ट्रक्चरल रिफॉर्म्स, रेट रेशनलाइजेशन और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस पर केंद्रित हैं। प्री-फिल्ड रिटर्न्स, फास्ट रिफंड्स और आसान रजिस्ट्रेशन जैसी सुविधाएं भी जोड़ी गईं।
नए स्लैब के फायदे और प्रभाव:
- यह नया सिस्टम उपभोक्ताओं, व्यवसायों और अर्थव्यवस्था के लिए लाभदायक सिद्ध होगा। सबसे बड़ा फायदा स्लैब्स की संख्या कम होना है, जो वर्गीकरण विवादों को 50% तक घटा देगा। उपभोक्ताओं के लिए, दैनिक उपयोग की वस्तुएं सस्ती होंगी। उदाहरणस्वरूप, पैकेज्ड फूड पर 12% से 5% घटने से कीमतें 7% कम होंगी, जो मध्यम वर्ग को राहत देगी। इलेक्ट्रॉनिक्स और व्हाइट गुड्स पर 28% से 18% आने से 10% की कमी, जो त्योहारी सीजन में खरीदारी को बढ़ावा देगी।
- व्यापारियों और एमएसएमई के लिए, अनुपालन आसान होगा। इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर सुधार से वर्किंग कैपिटल की समस्या हल होगी। कृषि, टेक्सटाइल्स, रिन्यूएबल एनर्जी, ऑटोमोटिव, हैंडीक्राफ्ट्स और इंश्योरेंस सेक्टर लाभान्वित होंगे। सरकार को राजस्व हिट लगेगा, लेकिन कम रेट्स से खपत बढ़ेगी, चोरी कम होगी और टैक्स नेट विस्तारित होगा, जो वर्षांत तक राजस्व बढ़ाएगा।
- हालांकि, कुछ आइटम्स महंगे हो सकते हैं, जैसे 12% स्लैब के कुछ हिस्से जो 18% में जाएंगे, लेकिन कुल मिलाकर औसत जीएसटी रेट 11.6% से घटकर लगभग 9-10% हो जाएगा। पर्यावरण के लिए, सिन गुड्स पर 40% से हानिकारक उत्पादों का सेवन कम होगा।
निष्कर्ष
22 सितंबर 2025 से लागू होने वाला नया GST स्लैब भारत की अर्थव्यवस्था को सरल, पारदर्शी और उपभोक्ता-अनुकूल बनाने की दिशा में एक मील का पत्थर है। प्रधानमंत्री मोदी की ‘डबल दिवाली गिफ्ट’ वाली घोषणा अब वास्तविकता बन रही है, जो आम आदमी, किसान, एमएसएमई और युवाओं को लाभ पहुंचाएगी। हालांकि, कार्यान्वयन में चुनौतियां रहेंगी, जैसे स्टॉक क्लियरेंस और सॉफ्टवेयर अपडेट, लेकिन लंबे समय में यह विकास को गति देगा। GST काउंसिल की यह पहल ‘आत्मनिर्भर भारत’ को मजबूत करेगी, और देश को तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने में मदद करेगी। व्यवसायियों को सलाह है कि वे जीएसटी पोर्टल पर अपडेट रहें और नई दरों के अनुसार इनवॉइस तैयार करें। कुल मिलाकर, यह सुधार GST को और अधिक प्रभावी बनाएगा।
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